
तेरी कातिल नज़रों के तीर का निशाना हो गया
आज झटकी जो जुल्फ तुमने मैं दिवाना हो गया
तेरी अदाओं में असर ही कुछ ऐसी बला का था
जाम उतरी नहीं लब से और मैं मस्ताना हो गया
अजब की सोखियाँ दिल में और शरारत तेरे चेहरे पर
जाम छलक ना जाऐ तेरी आँखों से कहीं
ये सोचकर आज मैं पैमाना हो गया
....................(गंगेश ठाकुर)

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