सोमवार, 16 दिसंबर 2013

बेहतरीन पंक्तियां


अलग से राग में गाना, तेरा अलग ही रंग में रंगना
यही दस्तूर है दुनिया का कहां इससे तुम अलग होगे
समय की तेजधारा में जो बहकर सीखते हो तुम
कहां तुम सीख पाते कभी साहिल पर खड़े होके
अजब की बात पर जो रोज तुम मुस्कुरा देते हो
कहां बातें कभी तुम मुस्कुरा के सोचते हो साहिब
सुखद एहसास की गर्मी ख्यालों में बसाकर तुम
दूसरों पर रोज हंसते हो कहां खुद पे कभी हंसते
तुम्हारी हर बात कितने ही सवालों का जवाब बनती
अगर दो बातें कभी तुम मुस्कुरा को जो कर देते

---गंगेश कुमार ठाकुर---

1 टिप्पणी:

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