ऐसा देश है मेरा के माध्यम से मैं आप तमाम पाठक से जुड़ने की भरपुर कोशिश कर रहा हूँ चूँकि मैं इस जगत में आपका नया साथी हूँ इसलिए आशा करता हूँ कलम के जरिये उभरे मेरे भावना के पुष्पों को जो मैं आपके हवाले करता हूँ उस पर अपनी प्रतिक्रिया के उपहार मुझे उपहार स्वरूप जरूर वापस करेंगे ताकि मैं आपके लिए कुछ बेहतर लिख सकूँ। ..................................आपकी टिप्पणियों की प्रतीक्षा में ...........................................आपका दोस्त """गंगेश"""
बुधवार, 5 जनवरी 2011
हाय सर्दी हाय-हाय सर्दी
सर्दियों के इस मौसम की शुरूआत में किसी ने ये सोचा भी नहीं होगा कि पूरे देश को प्रकृति का ये कहर रूलाने वाला है। खासकर उत्तर भारत की बात की जाये तो शीतलहर यहॉ कहर बन कर बरपा है। अभी तक शीतलहर की चपेट में आकर केवल उत्तर भारत में पैंतालिस लोगों की जान गई है।
ऐसे में यह कहना बिल्कुल मुनासिब हीं होगा कि सर्दी ने तो हद हीं कर दी। पूरा उत्तर भारत आजकल इसकी चपेट में आ गया है। ऐसे में सड़कों के किनारे, झुग्गियों में, रैन बसेरे में, या तंबुओं में रहने वालों पर हीं नहीं आम लोगों के जनजीवन पर भी यह शीतलहर कहर बनकर टूटा है। लोग जगह-जगह अलाव के आग से अपनी सर्दी मिटाने की कोशिश कर रहे हैं।लेकिन शीतलहर है कि मानता हीं नहीं।
कश्मीर से लेकर पूरे हिमाचलप्रदेश की सभी पहाड़ियॉ बर्फ की चादर से ढ़ंक गयी हैं।इन पहाड़ियों से टकराकर हीं ठंढी हवा मैदानी इलाकों में आ रही है, जिस कारण मैदानी इलाका भी शीतलहर के आगोश में आने से बच नहीं पाया है। शीतलहर के प्रकोप वाली यह हवा इतनी ठंढी है कि यह शरीर के अंदर नसों में पहुंच कर नसों को जमा देने तक की क्षमता रखती है, या कहें कि हड्डियों को कंपकंपा देने वाली हवा है ये।
दिल्ली की सर्दी तो वैसे हीं मशहुर है लेकिन इस बार सर्दी ने जो असर दिखाना शुरू किया, उसने कई सालों के रिकॉर्ड़ तोड़ दिये हैं। दिल्ली का अपना कोई मौसम नहीं है ऐसे में आस-पड़ोस के राज्यों के मौसम का इस पर गहरा असर होता है। कश्मीर और हिमाचल की पहाड़ियों में हो रहे घमासान बर्फबारी की वजह से दिल्ली में भी सर्दी ने अपना सितम ढ़ाना शुरू कर दिया। दिल्ली में नसों को जमा देने वाली ठंढ़ ने इस वजह से यहॉ दस्तक दे ड़ाली।हलॉकि यह सर्दी दिल्ली के लिए कोई अनहोनी घटना नहीं मानी जानी चाहिए क्योंकि कमोवेश हर बार दिल्ली को ऐसी सर्दी से दो-चार होना पड़ता है। लेकिन इस बार तो इस सर्दी ने हद हीं कर दी । दिल्ली के सारे स्कूल ठंढ़ की वजह से नौ जनवरी तक बंद कर दी गई हैं और सर्दी का कहर अगर इस दरम्यान भी जारी रहा तो स्कूल की छुट्टियॉ आगे तक भी बढाई जा सकती है। दिल्ली का न्यूनतम तापमान तीन ड़िग्री तक पहुंच गया है और आने वाले दिनों में भी तापमान के और नीचे गिरने के आसार के बारे में मौसम विज्ञानी अपनी मुहर लगा चूके हैं।
सड़क, रेलवे, हवाई सभी यातायात व्यवस्था ठंढ़ और कोहरे की वजह से अस्तव्यस्त हो गई हैं।ऐसा नहीं है कि सर्दियों का ये कहर केवल दिल्ली में हीं है बल्कि कमोवेश यही हालात कानपुर,लखनऊ, आगरा, इलाहाबाद, भोपाल, पटना जैसे शहरों के भी हैं।
श्रीनगर और हिमाचल प्रदेश में भारी बर्फबारी की वजह से तो दोनों राज्यों में जनजीवन मानो थम सी गई है।यहॉ के सारे हाइवे बंद पड़े हुए हैं।लोगों की आवाजाही शहर की सड़कों पर ठंढ़ के कारण कम है।आवश्यक आवश्यकता की वस्तुऐं भी इस कारण वहॉ पूरी मात्रा में मुहैया नहीं हो पा रही है। कई सैलानी भी मौसम का लुत्फ उठाने यहॉ आते रहते हैं कुछ सैलानी मौसम के इस कहर के बाद यहॉ फंस चूके हैं।
ड़ल झील और सुखना झील इस ठंढ़ से पूरी तरह जम चूका है। बिजली, पानी, दवा, और खाध्य वस्तुओं की समस्या यहॉ बढ़ती जा रही है।
हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल सहित देश के कई राज्यों में सर्दी के हालात करीब एक से हैं।हलांकि यह बर्फबारी फलदार पेड़ पौधों की फसलों के लिए फायदेमंद है। लेकिन लोगों के लिए तो यह शीतलहर प्रकृति का कहर हीं है।
देश की छोड़ दें तो प्रकृति का यह कहर विदेशों में भी जारी है।यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका, रूस सहित कई देशों में प्रकृति अपने कहर का फरमान जारी कर दिया है।
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