मंगलवार, 1 जनवरी 2013

क्या वो लौट आएगी ?




देश में व्याप्त जनआक्रोश की लहर से मृत आत्मा को कभी शांति नहीं मिलेगी ये आग जो आज देश में लगी है उसकी चिंगारी भी अगर बुझ गई तो शायद सबकुछ निरर्थक हो जाएगा इसलिए जरूरी है कि एक संकल्प लिया जाए ताकि इस मृत आत्मा को शांति मिले।...

सड़क पर लगाकर जाम
रोक कर अपने काम तमाम
गलियों मोहल्लो में
मचाकर खुब हो हल्ला
क्या उसको चैन से
तुम सोने दे दोगे ?
तुम्हारे शोर करने से
क्या वो फिर लौट आएगी ?
जलाकर सैकड़ो मोमबत्तियां
लिए तुम हाथ में तख्तियां
क्या विधाता के हाथों से
उसके प्राण छीन लाओगे ?
क्या वो फिर लौट आएगी ?
अगर तुम कुछ करना भी चाहो
अगर तुम लड़ना भी चाहो
तो बस अपने में लड़ लो
तुम उसका वो तुम्हार सर फोड़े
फिर दोनों गलतियों का ठीकरा
एक दूसरे के सर फोड़ो
कभी सड़कों पे तुम दौड़ो
कभी संसद में वो चिल्लाए
तुम उसको गलत कहो
वो तुमको गलत बतलाए
अरे अब छोड़ भी दो
एक दूसरे पर आरोप मढ़ना तुम
इससे मरने वाले को
कभी शांति नहीं मिलती
अगर कुछ करना है तो
तुम प्रण लो उस वीरांगना की
कभी तुम दुष्कर्म नहीं दोहराओगे
कभी किसी पर
देखो जुल्म होते तो
तुम लो कसम
तुम जुल्म से उसको बचाओगे
तख्तियां हाथ से फेको
प्रण लो अपने हाथ ऊपर कर
नहीं कभी किसी क्षण
किसी को तुम
अपनी हैवानियत का
शिकार बनाओगे
उस आत्मा की शांति का
यही एक मार्ग है लोगों
खुद भी जगो
संग में औरों को भी जगाओ
तो फिर वो लौट आएगी
खिलखिलाएगी मुस्कुराएगी।

गंगेश कुमार ठाकुर


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