शुक्रवार, 29 मार्च 2013

त्रिवेणी


1)हर बार समझना तेरे होने का मतलब
 तेरे होने की खुशी तुझे खोने का ग़म
 जैसे रास्ते बदल गए और मंजिल वहीं खड़ी
2)नींद से सोना और सपनों में खोना
  हर रात में जगना और हर दिन को रोना
  मौत का पैगाम है या मौत का सामान है
3)सिर्फ सियासत ही नहीं न सिर्फ दोस्ती ही सही
  भरोसा खुद पर हो और खुद पर भरोसा ही न हो
  दफ़न होते ख़्वाब हैं या दफ़न होती सोच है
4)आज पैमानों से कैसे माप ली है ज़िंदगी
  एक इकाई बना डाली ज़िंदगी के माप की
  मानो रास्ते की लंबाई का अंदाजा ले रहा है कोई
5) सहर में शहर का कुछ अटपटा अंदाज़ है
   शाम के ढलने पर अंधेरा घना छाया हुआ
   मौत का पैगाम है या धमाकों ने ये मंज़र पैदा किया
6)सियासत की आफत में सिपाही जान से गया
  जान से गया था वो या जान के गया
  जान देकर कुछ तो सीखा उस नाचीज़ ने
7)सरफरोशी की तमन्ना में सर पे बांधा है कफन
  बंदूकें गरजी, तलवारें चली, धुआं हुआ, शोला उठा
  सन्नाटा सा सड़क पर या गलियों में है शोर मातम का
8) चिरागों को जलाने पर अंधेरा दूर होता ही नहीं
   रात को छोड़ो दिन में उजाला ढूंढना पड़ता यहां
   किसी ने चिरागों को फ़कत पानी से जो जलाया है

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें