गुरुवार, 19 अगस्त 2010

ऑनर किलिंग

भारत एक लोकतांत्रिक देश है । यहाँ जनता का ,जनता के व्दारा , जनता के लिए,शासन की व्यवस्था है । यहाँ सभी जाति,वर्ग,संप्रदाय,धर्म,व्यक्ति को समान अधिकार प्राप्त है । वहीं देश के कई हिस्सों में सम्मान या इज्जत के नाम पर ऑनर किलिंग जैसी वारदातें तकरीबन हर रोज हीं हो रहीं हैं । जहाँ नई सदी का भारत महिलाओं ,युवाओं और दलित पिछड़ों आदि के लिए शिक्षा ,ज्ञान,विज्ञान,जनतचेतना,जनजागृति,आर्थिक-सामाजिक उन्नति के नए-नए मार्ग बनाने की जुगाड़ में सतत प्रयत्नशील है । वहीं आज देश के लगभग सात राज्यों में खाप पंचायतों जैसी प्राचीन परंपरा वाली रूढीवादी संस्थाओं के अस्तित्व के लिए नई सदी के भारत का यह प्रगतिशील छवि चुनौती बनकर सामने आया है । ऎसे में अपने अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे से निपटने का खाप पंचायतों को कोई तरीका नहीं मिला तो वे युवाओं ,स्त्रियों के उपर अपने तुगलकी फरमान की जंजीर डालने पर उतारू हो गये हैं । खाप पंचायतों के ये फरमान भलें हीं थोड़े समय के लिए भय या दहशत का माहौल बनाने में कामयाब हो जाऐं,पर ये समय की तेज धारा का रूख पीछे मोड़ने में कामयाब नहीं हो सकेंगे ।
सम्मान के नाम पर की जानेवाली नृशंस हत्याओं के लिए ऑनर किलिंग शब्द का प्रयोग सचमुच आश्चर्यजनक है । क्योंकि सम्मान के नाम पर की जानेवाली इन हत्याओं में सम्मान तो कहीं दिखाई हीं नहीं पड़ता । ऑनर किलिंग शब्द का प्रयोग सचमुच हम उन्हें सम्मान दे रहे हैं जो अपनी बहन ,बेटियों की हत्या करते हैं और छाती ठोककर कहते हैं मैं हत्यारा हूँ । अपने सम्मान की रक्षा के लिए मैंने ऎसा किया है । विदेशियों की तरह भारत में भी कुछ लोग ऎसी हत्याओं में अपने ऑनर (सम्मान) की तलाश करते हैं ।
गौर करने वाली बात यह है कि ऑनर किलिंग जैसे खा़प पंचायतों के फरमानों का असर केवल गरीब और मध्यम स्तरीय परिवारों पर हीं देखा गया है।
जबकि उसी समाज के ऊँचे तपके के लोग आज भी सगोत्री,अंतरजातीय,अंतरधार्मिक विवाह के बाद भी सुखमय जीवन जी रहें हैं । उनपर खाप पंचायतों का तुगलकी फरमान कभी भी जारी नहीं हुआ है । न हीं खाप पंचायतों को इनकी इस करनी पर कभी कोई आपत्ति हुई है ।

आईये, पहले खाप शब्द का अर्थ समझ लें । खाप शब्द का सीधा संबंध एक क्षेत्र विशेष के सामाजिक –राजनीतिक –भौगोलिक समूह से है । ऋग्वेद काल से हीं ये खाप पंचायतें अपने अस्तित्व में हैं । खाप पंचायत एक गोत्र या एक जाति के अन्य सभी गोत्रों को मिलाकर बनता है । विभिन्न खापों के समू्ह मिलकर सर्वखाप पंचायत बनाते हैं। जाट समाज में ये खाप पंचायतें ज्यादा प्रभावी हैं। उत्तरप्रदेश,हरियाणा,राजस्थान की तरह हीं देश के लगभग सात राज्यों में ये खाप पंचायतें प्रशासनिक इकाई के रूप में प्राचीन काल से अस्तित्व में हैं । आश्चर्यजनक बात तो यह है कि खाप के मुखिया के चुनाव का आधार अनुवंशिक है ।

आज देश में मीडिया अपने स्वतंत्र स्वरूप में विधमान है।साथ हीं मीडिया को संविधान के चौथे स्तंभ के रूप में माना जाता है। ऎसे में मीडिया अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह करते हुए जब खाप पंचायतों और किलरों की इस घिनौनी हरकतों की तरफ आम जनता का ध्यान आकृष्ट करना चाहा तो खाप पंचायतों ने मीडिया को हीं कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया।खाप पंचायतों ने तो यहाँ तक कह दिया कि मीडिया ने समाज में हमारी भुमिका को खलनायक के रूप में पेश किया है।जबकि हमारा काम घर बसाना है,घर उजाड़ना नहीं।

आज ऑनर किलिंग का मुख्य कारण समाज के तिरस्कार का ड़र है या तो खाप पंचायतों के फैसले का ड़र जिसकी वजह से इस तरह की हत्याओं का सिलसिला जारी है।खाप पंचायतों के अस्तित्व वाले भारत के इन सात राज्यों की स्थिति देखी जाए तो चित्र स्पष्ट हो जाऐगा। जहाँ खाप पंचायतें न्यायालय से उपर उठकर ऑनर किलिंग जैसे तुगलकी फरमान जारी करती हैं।

बात सम्मान के नाम पर हत्या की चल रही है तो बता दूँ कि केवल खाप पंचायतें हीं इसके लिए दोषी नहीं है।आम नागरिक भी इसके लिए उतना हीं जिम्मेवार हैं।
खाप पंचायतों के फैसले पर जितनी हत्याऎं हु्ई हैं उससे कहिं ज्यादा हत्याऐं इज्जत के नाम पर पढे लिखे या सामान्य वर्ग के लोगों व्दारा की गई है ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें