शनिवार, 18 दिसंबर 2010

दिल्ली पुलिस का नाकाम मिशन



देश की राजधानी दिल्ली में लूटमार, हत्या, बलात्कार, के साथ हीं अन्य वारदातों का सिलसिला थमने का नाम हीं नहीं ले रहा है । ऐसे में पुलिस प्रशासन इन वारदातों के सिलसिले रोकने में नाकामयाब हो गयी है। हिन्दुस्तान का वह शहर जो देश की राजधानी है, जहाँ से देश के राजनीतिक,सामाजिक,आर्थिक,सांस्कृतिक,शिक्षा,स्वास्थ्य और कानूनी सभी पहलुओं पर विचार होते हैं।इन पर कानून बनाने और इसके लिए दिशा निर्देश जारी करने के काम से लेकर इसे लागु कराने का काम तक भारत के इसी शहर में बैठे लोग करते हैं।ऐसे में अगर इस शहर की जनता हर रोज हो रही वारदातों से खौफ खाकर इस शहर में जी रही है तो इससे प्रशासन की नाकामी साफ झलकती है।ऐसे में ऐसा लगने लगा है कि वारदातों को रोकने में दिल्ली पुलिस या तो सक्षम नहीं है या वारदातों के इस बवंडर में दिल्ली पुलिस उलझना ही नहीं चाहती ऐसा प्रतीत होने लगा है।मामला चाहे धौला कुऑ में हुए गैंगरेप का हो या सीमापुरी में हुए बलात्कार का ,या मंगोलपुरी में ब्लैड मार गैंग की सक्रिय होने का मामला हो। दिल्ली पुलिस जगह-जगह हो रहे वारदातों को रोकने में विफल रही है,वारदातों को रोकना तो दूर दिल्ली पुलिस वारदातों के ठीक बाद अपने बचाव में लीपापोती करने पर लग जाती है। दिल्ली पुलिस ने तो इन घटनाओं में अपने बचाव के लिए गुनहगारों की जगह पर आम आदमियों को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया ताकि पुलिस के खिलाफ जनता का गुस्सा न भडके।दिल्ली पुलिस की इस हरकत की पुष्टि तब हो गई जब मंगोलपुरी में ब्लैड मार गैंग के सदस्यों के पकडे जाने का दावा करने के ठीक कुछ दिनों बाद हीं इस घटना की पुनरावृति ने दिल्ली पुलिस के खोखले दावों की पोल खोल दी।

दिल्ली पुलिस के नये आका बी के गुप्ता ने दिल्ली की जनता की इस खौफ की वजह पर अभी तक औपचारिक या अनौपचारिक किसी भी तरह प्रतिक्रिया नहीं दी है। जबकि वारदात ने तो मानो दिल्ली के दिल में अपना घर बना लिया है, अब तो हालात ये है कि वारदाती बेखौफ और प्रशासन सुस्त है।दिल्ली पुलिस की नाकामी और सुस्ती की हीं वजह है कि दिल्ली के सुल्तानपुरी में चलती कार में गैंगरेप होता है,तो दूसरे घटनाक्रम में एक युवक को कार से खींचकर चाकु मारकर उसकी हत्या कर दी जाती है।बसंत विहार इलाके में तीस साल के एक युवक की लाश मिलती है,तो दिल्ली से अगवा लडकी बवाना में मिलती है,वहीं बाइकसवार दो बदमाश रोहिणी इलाके में एक लडकी को गोली मारकर चलते बनतें हैं,पीतमपुरा इलाके में लडके का शव पेड से लटका मिलता है, तो द्वारिका सेक्टर-16 के डीडीए फ्लैट से एक छात्रा की लाश मिली।ऐसा नहीं है कि केवल इतनी हीं घटनाओं से दिल्ली को दो चार होना पड रहा है। ये तो कुछ ऐसे वाकये हैं जिसको मीडिया की वजह से जनता जान पाई है, नहीं तो ऐसे सैकड़ों वारदातों से दिल्ली की जमता को हर रोज दो-चार होना पड़ रहा है। ऐसे में यह स्पष्ट झलकने लगा है कि दिल्ली पुलिस का खौफ वारदात को अंजाम देने वाले के अंदर अब रहा हीं नहीं, या तो दिल्ली पुलिस इन गुनहगारों के मिली हुई हैं। मानवीय हैवानियत का जो दर्द दिल्ली झेल रही है उसका जिम्मेवार कोई और नहीं दिल्ली पुलिस खुद है।आज दिल्ली में महिलाऐं सडकों पर निकलने से परहेज करना शुरू कर चूकी है।खौफ का ये मंजर है कि लोगों को सुरक्षित रहने का डर हमेशा सताता रहता है, घर में रहने वाले बुर्जुग तक अपनी जिंदगी डर के साये में गुजार रहे हैं। कुछ-कुछ मामले में दिल्ली पुलिस को औसत सफलता मिली,फिर भी दिल्ली पुलिस के कुछ कारनामों से लगने लगा है कि ये मामले शायद उनकी लीपापोती या अपनी साख बचाने के उद्देश्य से जैसे तैसे आनन-फानन में सुलझाये गय़े हैं। वहीं अधिकतर मामलों में पुलिस को हाथ मलना पड़ रहा है। पुलिस की लाख कोशिशों के बाबजुद भी दिल्ली में अपहरण, लूटमार, हत्या, बलात्कार जैसे मामले रूकने का नाम हीं नहीं ले रहे। इधर इस तरह की घटनाओं के बाद भी दिल्ली पुलिस को कानों पर जूँ तक नहीं रेंगता , पुलिस सारे मामले को जानने के बाद भी कुछ करते तो नजर नहीं आती,लेकिन मजाक में दबी जुबान से हीं सही अपने नये आका बी के गुप्ता के बारे में यह तक कहने लगी हैं की इन्होंने शुभ मुहुर्त्त में पदभार हीं नहीं ग्रहण किया है, इसलिए वारदातों का सिलसिला थमने का नाम हीं नहीं ले रहा। पुलिस महकमे के आला अफसरों से लेकर नीचे तक के सारे कर्मचारी अपनी भुमिका निभाने से कतराते हैं ऐसा हीं सत्य है। ऐसे में देश की राजधानी में जंगल राज सा माहौल होना स्वभाविक है। जनता तो अब यह कहने लगी है कि दिल्ली से ड़र लगता है। पुलिस महकमा इतनी सारी वारदातों से कुछ सिख पाया है ऐसा कतई प्रतीत नहीं होता। सरकार की तरफ से भी उनके आला मंत्रीमंडल के लोग इन वारदातों के लिए बाहर से रोजी-रोटी की तलाश में आये लोगों को इसका जिम्मेवार ठहराकर पल्ला झाडने की कोशिश कर रही हैं।ऐसे में दिल्ली में बैठे आला मंत्रीमंडल के लोगों को यह समझना होगा कि दाल रोटी के जुगाड़ में आये लोगों के उपर यह इल्जाम लगाने से अच्छा होगा कि दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों को आदेश दें की वो दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा कर वारदात पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस की मुहिम तेज करें,ताकि दिल्ली की जनता वारदातों के खौफनाक अंधेरे भंवर जाल से बाहर आ सके।

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