मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

प्याज की कीमत रुलाये जार-जार



बेमौसम बरसात के चलते प्याज की पैदावार में हुए नुकसान ने तो देश की आम जनता को रुला हीं दिया है।भारत एक ऐसा देश है जो विश्व में प्याज के पैदावार के मामले में दूसरा स्थान रखता है। फिर भी देश में कई जगहों पर प्याज की कीमत 70-80 रुपये प्रतिकिलो हो गयी है। बाजार में बैठे लोगों की मानें तो आनेवाले दिनों में प्याज की कीमत 100 रुपये प्रतिकिलो तक हो जायेगी। ऐसे में यह कहना मुनासिब हीं होगा कि जो प्याज खुद के कटने पर लोगों की आँखों में आँसू ले आता था वह अब जनता की जेब काटकर उन्हें रुला रहा है।ऐसे में जनता जहाँ मंहगाई से पहले से हीं परेशान थी प्याज की इस भाव ने तो उनको अपनी जेब और हल्का करने पर मजबुर कर दिया है।

मंहगाई की मार से आम जनता को बचाने का सरकार असफल प्रयास पहले से हीं करती आ रही है,और जनता का कोपभाजन बनी हुई है,ऐसे में प्याज की कीमतों में इतनी बढ़ोतरी सरकार के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है।

जहाँ भारत प्याज की अधिक पैदावार करने वाला विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है, वहीं भारत में प्याज की कुल उत्पादन का 35-40 प्रतिशत हिस्सा नासिक में होता है। प्याज की फसल इस बार पश्चिम और दक्षिण भारत में हुए बेमौसम बरसात के चलते जमीन के अंदर हीं बर्बाद हो गई।जिसका सीधा असर भारत के तमाम खुदरा एवं थोक बाजार पर पड़ा जिस कारण प्याज ने लोगों को खुन के आंसू रुलाने शुरु कर दिये हैं। ऐसे में प्याज के दामों में कमी की आस में जनता की आँखें केन्द्र और राज्य सरकार की नीतियों की तरफ टकटकी लगाये देख रही हैं ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके। लेकिन सरकार की तरफ से भी जनता को राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं लगती।

प्याज की कीमतों में इस तरह का इजाफा कोई नयी बात नही है।प्याज की कीमतों में इजाफा केन्द्र और राज्यों में सरकारें भी बदल चुका है।ऐसे में केन्द्र और राज्य सरकार के अंदर प्याज की मंहगाई को लेकर चर्चा तेज हो गयी है ताकि लोगों को कम कीमत पर प्याज मुहैया कराया जा सके।इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि प्याज भारतीय राजनीति में अहम रोल अदा करता है।प्याज की कीमतों में भारी वृद्धि की वजह से 1998 में सुषमा स्वराज को दिल्ली की सत्ता से हाथ धोना पड़ा। इसी वजह से वर्ष 1998 में राजस्थान की गद्दी भैरो सिंह शेखावत को भी छोड़नी पड़ी।पिछले साल अक्टूबर महीने में लेफ्ट ने प्याज के दाम में भारी वृद्धि को मुद्दा बनाकर हीं मनमोहन सरकार के खिलाफ चुनाव लड़ा था।

प्याज के दाम में भारी वृद्धि को देखते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने आज मंत्रीमंड़ल की बैठक बुलाई है ताकि इस समस्या का हल निकाल पाये।इस समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने नेफैड के दुकानों के जरिये दिल्ली में 6 जगहों पर प्याज को सस्ते दाम में उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है।केन्द्र सरकार ने पाकिस्तान से प्याज आयात करने की भी घोषणा की है।ताकि प्याज की भारी मात्रा में बाजारों में हो रही कमी की भरपाई की जाऐ।

कृषि मंत्री शरद पवार ने इस समस्या के समाधान के लिए प्याजों के निर्यात पर रोक लगाने की बात कही है।साथ हीं कृषि मंत्री शरद पवार ने यह भी बताया की आने वाले तीन-चार हफ्तों तक प्याज के दाम मे कमी की संभावना नहीं है।प्याज के फसल के कम उत्पादन और खराब मौसम को कृषि मंत्री शरद पवार ने दामों में वृद्धि के लिए जिम्मेवार माना है।इससे पहले सरकार ने कल यह घोषणा की थी कि मार्च के महीने तक मंहगाई की समस्या से निपट लिया जायेगा।लेकिन ऐसा कुछ महसुस नहीं हो रहा है।

प्याज के बढ़ते दाम पर अब सियासत तेज हो गई है। भाजपा तो यह कहने लगी है कि जब-जब प्याज के दाम बढ़े हैं तब-तब सरकार गिरी है, जनता इस बार भी प्याज के दामों में आयी वृद्धि से त्रस्त है, ऐसे में जनता जबाज जरुर देगी। भाजपा तो सीधे-सीधे सरकार के उपर मंहगाई को बढ़ावा देने का इल्जाम लगाने लगी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिन गड़करी ने तो यह तक कह दिया की सरकार की गलत नीतियों के चलते हीं यह समस्या आयी है।

आम जनता पक्ष और विपक्ष के इस सियासती झमेले में फँसकर अपनी जेब कटवाने पर मजबुर है।अब तो ऐसा लगने लगा है कि यह प्याज जल्द हीं आम जन के खाने की थाली से गाय़ब हो चुकि होंगी।ऐसे में अभी से आम जनता खुशी या दु:ख के नहीं प्याज के आँसू रोने पर मजबुर हो गयी है।

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