सोमवार, 27 दिसंबर 2010

पीएसी के सामने देंगे पेशी प्रधानमंत्री



2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में विपक्ष के हल्ले और हंगामे के बीच जब केन्द्र सरकार पूरी तरह से घिर गयी और विपक्ष ने जब इस मसले पर सदन की कार्यवाही पूरे संसद सत्र में नहीं चलने दी तब कहीं जाकर यूपीए सरकार के महानायक मनमोहन सिंह और कांग्रेस पार्टी की मुखिया सोनिया गॉधी के चेहरे पर परेशानी की रेखाऐं साफ नजर आने लगीं।ऐसे में दिल्ली के बुराड़ी में हुए कांग्रेस के महाधिवेशन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में बीजेपी दुष्प्रचार कर रही है कि प्रधानमंत्री की पेशी के डर से सरकार स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच जेपीसी से नहीं करवाना चाहती। उनका मतलब ये है कि मेरे पास कुछ राज हैं,जिन्हें मैं छुपाना चाहता हूं। मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि मेरे पास छिपाने को कुछ भी नहीं है। इसका सबूत है कि पीएसी चेयरमैन को चिट्ठी लिखने की मेरी इच्छा, कि अगर जरूरत हो तो मैं कमेटी के सामने पेश होने को तैयार हूं।

सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज पीएसी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी को पत्र लिखकर पीएसी के समक्ष पेश होने की इच्छा जाहिर की है।ताकि 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले से जुडे मामले में पीएसी उनसे जबाब तलब कर सके।

वहीं सूत्रों के हवाले से यह पता चला है कि पीएसी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पत्र मिलने से बिल्कुल इनकार किया है। पीएसी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने यह कहा कि प्रधानमंत्री का ऐसा कोई भी पत्र उन्हें नहीं मिला, न हीं इस तरह के पत्र से संबंधित कोई भी जानकारी पीएसी के पास है।

गौरतलब है कि पिछले संसद सत्र में सदन की कार्यवाही इसी कारण बाईस दिनों तक नहीं चल पायी क्योंकि स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में विपक्ष पीएसी के साथ जेपीसी की मॉग पर भी अड़ा रहा। लेकिन सरकार इस मॉग को मानने से कतराती रही आखिरकार संसद का सत्र समाप्त हो गया और विपक्ष की मॉग संसद से सड़क पर आ पहुँची ऐसे में सरकार को अपने बचाव का कोई रास्ता नहीं दिखा तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएसी अध्यक्ष को पत्र लिखकर पीएसी के सामने पेश होने की इच्छा जाहिर की।

ये सारा माजरा युपीए की सोची समझी रणनीति का हिस्सा लगता है। क्योंकि सरकार और खुद मनमोहन सिंह को ये बात अच्छी तरह पता है कि प्रधानमंत्री से पुछताछ का अधिकार पीएसी के पास नहीं है। पीएसी का दायरा सीमित है, पीएसी संबंधित मंत्रालय के मंत्री से हीं जबाब तलब कर सकता है।जिसकी रिपोर्ट पीएसी संसद में पेश करता है, पीएसी की सिफारिश को मानने के लिए सरकार बाध्य नहीं होती है।ऐसे में प्रधानमंत्री द्वारा पत्र लिखकर पीएसी के समक्ष अपनी पेशी की सिफारिश करना एक सियासत हीं तो है। आखिर प्रधानमंत्री और केन्द्र सरकार विपक्ष की जेपीसी की मॉग को ठुकराती रही और ऐसी संस्था के सामने पेशी की अर्जी दे ड़ाली जिसे प्रधानमंत्री से जबाब तलब करने का अधिकार हीं नहीं है। ऐसे में यूपीए की मंसा स्पष्ट नहीं हो पा रही है कि वह इतने बड़े घोटाले से अपने आप को पाक-साफ रखने की कोशिश क्यों कर रही है।

अब देर शाम को पीएसी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने साफ किया कि उनको प्रधानमंत्री का पत्र मिल गया है, उचित वक्त आने पर प्रधानमंत्री को बुलाया जायेगा और उनसे पुछताछ की जायेगी। पीएसी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने यह भी कहा कि उचित वक्त पर उचित कार्यवाही की जायेगी।

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