ऐसा देश है मेरा के माध्यम से मैं आप तमाम पाठक से जुड़ने की भरपुर कोशिश कर रहा हूँ चूँकि मैं इस जगत में आपका नया साथी हूँ इसलिए आशा करता हूँ कलम के जरिये उभरे मेरे भावना के पुष्पों को जो मैं आपके हवाले करता हूँ उस पर अपनी प्रतिक्रिया के उपहार मुझे उपहार स्वरूप जरूर वापस करेंगे ताकि मैं आपके लिए कुछ बेहतर लिख सकूँ। ..................................आपकी टिप्पणियों की प्रतीक्षा में ...........................................आपका दोस्त """गंगेश"""
बुधवार, 26 जनवरी 2011
गणतंत्र को नमस्कार है।
भुखों और गरीबों की लग रही भरमार है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
हिन्दी यहाँ की फिजा में घुट रही,
अंग्रेजी का बढ़ रहा हमपे अधिकार है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
देशी उत्पादों से कतराते लोग यहाँ,
विदेशी सामानों से सजता रोज बाजार है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
सभ्यता और संस्कृति रोती सरे बाजार है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
छोटों-बड़ों को प्यार और आदर देना,
भुल गया यहाँ हर परिवार है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
अपनी तहज़ीब अपनी जिम्मेदारी के धर्म से,
दूर होकर जीने का यहाँ हो चुका आगाज है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
शहीदों की मजारों पर भी अब,
लगता राजनीति का घिनौना बाजार है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
मजहबों के नाम पर रोज इंसान बँटते हैं,
भाईचारे के पाठ से बचता यहाँ का समाज है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
अमन और शांति से भटक रहा मुल्क है,
उग्रवाद का रोज झेलता दंश है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
बेरोजगारी की मार है जीना दुश्वार है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
विदर्भ में किसान जल रहे,
हर तरफ खेतों मे पसरा हाहाकार है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
पैसे लुटती सरकार चल रही,
कानून भी बेचारी यहाँ बीमार है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
पुलिस जनता पर धौंस जमा रही,
न्यायपालिका यहाँ की लाचार है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
इज्जत के नाम पर बली चढ़ रही,
खापों की चल रही सरकार है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
आरक्षण देने दिलाने की राजनीति हो रही,
शिक्षा व्यवस्था की स्थिती बेकार है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
भ्रष्टाचार खुली हवा में हो रहा,
पूरी व्यवस्था यहाँ शर्मसार है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
अनाज के एक-एक दानों की मारामारी है,
कालाबाजारी करने की हर रोज होती तैयारी है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
भारत तो है गौरव हमारा,
चाहे यह कितना भी लाचार है।
फिर भी इस गणतंत्र को नमस्कार है।
-------------------------------------------------------------(गंगेश कुमार ठाकुर)
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