रविवार, 13 फ़रवरी 2011

मानव से दानव






चंद अमीरों के होने से मुल्क की तकदीर नहीं बदलती है,
चंद शीशे के महल बनाने से देश की तस्वीर नहीं बदलती है,
चंद किस्से कहानियों से राजा कभी रंक नहीं बनता है,
चंद अच्छे कामों को करने से भी चोर कभी संत नहीं बनता है,
मंदिर में सेवादारी करते रहने से पापी महंत नहीं बनता है,
मुरली बजाना आ भी जाऐ तो कंस कभी कृष्ण नहीं बनता है,
पैसे दिखाकर लोगों को कोई चरित्रवान नहीं बन पाता है,
कितना कर ले यत्न कोई सबको बराबर सम्मान नहीं मिल पाता है,
दुआओं का है मोल बहुत पर इससे रोग नहीं जाता है,
जहाँ दवा की हो जरूरत वहाँ दुआ काम कभी नहीं आता है,
कितना भी कोई करे प्रयत्न आदत से अपने बाज नहीं आता है,
घोंघा कितना भी करे यत्न वह शंख नहीं है बन पाता है,
असत्य कितना भी हो मीठा वह सत्य नहीं बन पाता है,
और सत्य जितना भी हो कड़वा वह झुठलाया नहीं जाता है,
जब नाश किसी पर छाता है उसका विवेक मर जाता है,
मृत्यु का होना तय है इससे इनकार नहीं किया जाता है,
प्रकृति से अगर मजाक हुआ तो विध्वंस नहीं टाला जाता है,
राह अगर गलत पकड़ ली किसी ने मानव से दानव वो बन जाता है।


--------------------------------------------------------------------(गंगेश कुमार ठाकुर)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें