ऐसा देश है मेरा के माध्यम से मैं आप तमाम पाठक से जुड़ने की भरपुर कोशिश कर रहा हूँ चूँकि मैं इस जगत में आपका नया साथी हूँ इसलिए आशा करता हूँ कलम के जरिये उभरे मेरे भावना के पुष्पों को जो मैं आपके हवाले करता हूँ उस पर अपनी प्रतिक्रिया के उपहार मुझे उपहार स्वरूप जरूर वापस करेंगे ताकि मैं आपके लिए कुछ बेहतर लिख सकूँ। ..................................आपकी टिप्पणियों की प्रतीक्षा में ...........................................आपका दोस्त """गंगेश"""
रविवार, 27 फ़रवरी 2011
*******ये सोचता हूँ मैं।**********
1)रंगों में रंगा है सारा जहां,
कोई यहां कोई वहां,
अब कितना बेरंग,
लगने लगा है ये जहां,
जब न तुम यहां न हम वहां।
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2) शोहरतों के बल पलता इंसान मैने देखा है।
खुशियों से सजकर बिकता सामान मैने देखा है।
ख्वाहिशों की पालकी पर चलता अरमान मैने देखा है।
दिलों के उलझते रिश्तों में सुलझता इंसान मैने देखा है।
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3) खामोश निगाहों से बयां हमने ये फसाना किया,
समझ में उनके न आया न हम बता सके,
अब जो होश आया उनको तो वो हमें ढूँढ़ते हैं,
हम कहाँ जा छुपे हैं ये उन्हें दिखा न सके।
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4) आपकी मजबूर आँखें देखती हैं रास्ता किसका,
होश में आ जाओ मुकम्मल जहाँ अभी बाकी है,
हुस्न बेपरवाह मुहब्बत नाम लेती रहती है यहाँ,
अभी तो आराम कर लो पूरी रात यहाँ बाकी है।
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5) गुनाहों से अगर तौबा कर लो,
हर ग़म यूँ हीं चला जायेगा।
पास जितना रहोगे तुम मेरे,
दर्द तुम्हे होगी और आँख मेरा भर जायेगा।
बड़ी मुश्किल है की मैं तुमसे दूर रहू,
...आवाज तेरी आयेगी और मैं दौड़ा चला आऊँगा।
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6) सोच समझकर हमने अपनी जगह बनायी है,
हम भी तो आपकी तरह इन्सान हैं,
इसलिए आपकी तरफ दुआओं से भरी नजर उठायी है,
भरोसा है आप मेरी उम्मीद को कायम रखेंगे,
इसलिए मैने आपको हीं आवाज लगायी है।
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