ऐसा देश है मेरा के माध्यम से मैं आप तमाम पाठक से जुड़ने की भरपुर कोशिश कर रहा हूँ चूँकि मैं इस जगत में आपका नया साथी हूँ इसलिए आशा करता हूँ कलम के जरिये उभरे मेरे भावना के पुष्पों को जो मैं आपके हवाले करता हूँ उस पर अपनी प्रतिक्रिया के उपहार मुझे उपहार स्वरूप जरूर वापस करेंगे ताकि मैं आपके लिए कुछ बेहतर लिख सकूँ। ..................................आपकी टिप्पणियों की प्रतीक्षा में ...........................................आपका दोस्त """गंगेश"""
सोमवार, 12 सितंबर 2011
एक और बात .................
तेरी कातिल नज़रों के तीर का निशाना हो गया
आज झटकी जो जुल्फ तुमने मैं दिवाना हो गया
तेरी अदाओं में असर ही कुछ ऐसी बला का था
जाम उतरी नहीं लब से और मैं मस्ताना हो गया
अजब की सोखियाँ दिल में और शरारत तेरे चेहरे पर
जाम छलक ना जाऐ तेरी आँखों से कहीं
ये सोचकर आज मैं पैमाना हो गया
....................(गंगेश ठाकुर)
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