
रूप वही, रंग नया
साथ वही, ढ़ंग नया
सोच वही, बात नई
सुबह वही, रात नई
उम्र वही, दौर नया
साज वही, संगीत नया
सुर वही, ताल नया
चलन वही, चाल नया
भाषा वही, साहित्य नया
हिन्दी वही, हिन्दुस्तान नया
इस नयेपन के साथ भाषा साहित्य और हिन्दुस्तान सबको मेरा सलाम
..........................(गंगेश ठाकुर)
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