कुछ मुलाकातों में
कुछ शब्दों में
कुछ ढ़ंगों में
कुछ जीवन में
कुछ रंगों में

कुछ भाषा में
कुछ आशा में
कुछ अनचाही
अभिलाषा में
कुछ लहरों में
कुछ शहरों में
कुछ गीतों में
कुछ गज़लों में
कुछ नग़मों में
कुछ सपनों में
कुछ सावन में
कुछ मौसम में

कुछ नयनों में
बिखरी यादों को
समेटने की कोशिश में
मैं चलता हूँ
साहिल पर खड़े होकर
नित नये तरीके
गढ़ता हूँ

मैं पढ़ता हूँ
मैं लिखता हूँ
मैं ज़िंदगी को
हर रोज सीखता हूँ
फिर चाहे पतझड़ हो
या फिर सावन हो
या यादें कुछ मनभावन हो
इसी उम्मीद में नित सोता हूँ
यही उम्मीद लिए नित जगता हूँ ।
इसी उम्मीद में नित सोता हूँ
जवाब देंहटाएंयही उम्मीद लिए नित जगता हूँ ।
बहुत हि सुन्दर रचना!
चर्चा मंच पर आपकी रचना देखि...
अच्छी लगी!
शुभकामनायें!