मंगलवार, 6 मार्च 2012

उनका होना





सारे शब्द अक्षरश: सत्य हो सकते थे
अगर मैं ये मान लेता
कि मैंने खुद को खुद से बनाया है
खुद का खुद से निर्माण किया है
लेकिन मैं ये कैसे भूल जाऊँ
कि मैं तो केवल अक्स हूं
मेरे निर्माता की छवि
आज भी मुझमें दिखती है
मेरा खाना-पीना, हंसना-रोना
खेलना-कुदना, गाना-जीना
और न जाने क्या-क्या ?
मेरे अंदर के शीशे में
स्पष्ट नजर आता है
मैं शायद अपने होने में
उनका होना बनकर जी रहा हूं
शायद उनके होने या न होने
दोनों ही अर्थों में
वो मेरे अंदर तब तक जिंदा रहेंगे
जब तक मैं इस
खुशी, वेदना, विचारों की तरह के
न जाने कितने ही भाव मिश्रित
शब्दों के संसार में जिंदा रहूंगा
उनका मेरे अंदर होना
मेरे मरने के बाद भी
शायद हीं खत्म हो पाएगा
क्योंकि मेरे वंश की परंपरा को
आगे बढ़ाने वाले चिराग में
उनका होना मेरे द्वारा
स्थापित कर दिया जाएगा
मैं उन दोनों निर्माताओं का
जिन्होंने मेरा निर्माण किया है
अब उनके लिए न होने जैसा शब्द
अपने मरने के बाद भी
सत्य नहीं होने दूंगा
जिंदा रखूंगा उन्हें सदियों तक
वर्षों तक, युगों तक
और न जाने कब तक ?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें