गुरुवार, 13 दिसंबर 2012

मेरे लिए क्या हो तुम ?


तुम्हें पता है मेरे लिए क्या हो तुम ?
तुम सुर हो, तुम ताल हो
तुम लय हो, तुम छंद हो
तुम गीत हो, संगीत हो तुम
शब्द हो तुम और अर्थ भी तुम
तुम नदी हो, तुम्ही संगम हो
तुम रेत हो, तुम्ही धरती हो
तुम्ही उपज हो, फसल हो तुम
तुम कर्म हो, काम हो तुम
तुम स्वर्ग हो, परमात्मा हो तुम
तुम सृष्टि हो, तुम सरिता हो
तुम ही संगिनी, तुम्ही स्मृति हो
तुम सत्य हो, तुम निरंकार हो
तुम सर्वविदित, तुम्ही सर्वश्व हो
तुम कला हो और कलाकार भी तुम
तुम्ही नृत्य हो, गीत भी तुम
तुम वाद्य हो, अराध्य हो तुम
तुम संयुक्त हो और उपयुक्त भी तुम
तुम संसार हो, तुम बहार हो
तुम प्यार हो, अलंकार भी तुम
तुम भाषा हो, तुम आशा हो
तुम रूप हो, स्वरूप भी तुम
तुम ही अर्पण, तुम ही समर्पण
तुम ही दर्पण और अक्स हो तुम
तुम अदृश्य हो, तुम सदृश्य भी
भक्ति भी तुम और शक्ति भी तुम
तुम लाख हो, तुम पाक हो
तुम परिंदा हो और मुझमे जिंदा भी तुम
तुम संग्राम हो, तुम विराम हो
तुम याद भी, फरियाद भी तुम
तुम शीतल हो, तुम सौम्य हो
तुम सुंदर भी, सुशील भी तुम
तुम अल्हड़ नदी, तुम थिर जल धारा
तुम ज़मी हो, आसमान हो तुम
तुम श्वेत हो, तुम श्याम हो
तुम रंग हो, उमंग हो तुम
तुम ही तरंग, तुम ही प्रसंग
तुम बात भी, ज़ज्बात भी तुम
तुम शस्त्र हो, तुम शास्त्र हो
तुम अस्त्र भी, तुम आश भी
तुम दूर हो, तुम पास भी
तुम कुछ नहीं पर खास भी तुम
तुम तारों में, तुम चांद में
तुम सूरज में, तुम बादलों में
तुम सुक्ष्म भी, तुम विशाल भी
तुम साधारण हो, कमाल भी तुम
तुम जादू हो, तुम साधु हो       
तुम वृक्ष हो, लता भी तुम
तुम सामर्थ्य में, तुम हर अर्थ में
खुशी में भी तुम और हर ग़म में तुम
ऐसे में तुम्हें खोना
खुद को खोना ही तो है
कैसे मैं तुम बिन संपूर्ण हो सकूंगा
अब तो जान गए हो तुम
कि मेरे लिए क्या हो तुम ?







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